सोने में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए सरकार लाई है एक अच्छा मौका।
सरकार लोगों को सस्ते में सोना खरीदने का मौका दे रही है। निवेशक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (S
overeign Gold Bonds Scheme) के तहत सोने में निवेश कर सकते हैं।
कबसे - कबतक मिलेगी ये Scheme?
इस स्कीम में 31 अगस्त से 4 सितंबर तक निवेश किया जा सकेगा। यानी की आपके पास सिर्फ़ ५ दिन होंगे ।
कितने क़ीमत में मिलेगा सोना?
RBI ने छठा चरण लांच करते हुए बताया की इस स्कीम में निवेश करने वालों के लिए
5,117 रुपये प्रति ग्राम का भाव रखा है। जिसका मतलब है की १० ग्राम 51,170 रुपए में मिलेगा जबकि बाज़ार में १० ग्राम की क़ीमत 53,000 रुपए के ऊपर है। साथ ही Digital Payment करने पर ५० रुपए प्रति ग्राम की छूट और दी जाएगी।
क्या फ़ायदा होगा इस स्कीम का?
इस स्कीम के तहत निवेशक को 999 गुणवत्ता वाला गोल्ड बॉन्ड ख़रीदने का मौक़ा मिलेगा। साथ ही फिजिकल गोल्ड को रखने के लिए ग्राहक को लॉकर आदि पर खर्च करना पड़ता है, लेकिन गोल्ड बॉन्ड बिना किसी खर्च के अत्यधिक सुरक्षित होता है। वहीं, जब ग्राहक गोल्ड बॉन्ड को बेचने जाते हैं, तो किसी तरह का मेकिंग चार्ज इत्यादि नहीं काटा जाता है।
कितना सोना ख़रीद सकते है आप?
इस स्कीम के तहत सबसे छोटा बांड
एक ग्राम के सोने के बराबर होगा। कोई भी निवेशक एक वित्त वर्ष में अधिकतम
500 ग्राम के बराबर गोल्ड बांड खरीद सकता है। कुल मिलाकर व्यक्तिगत तौर पर बांड खरीदने की सीमा
चार किलोग्राम है। ट्रस्ट या संगठन के मामले में यह सीमा
20 किलोग्राम तय की गई है।
गोल्ड बॉंड स्कीम का इतिहास
सरकार ने फिजिकल गोल्ड की मांग में कमी लाने के लिए नवंबर, 2015 में यह स्कीम शुरू की थी। यहां निवेशकों को सोने में पैसा निवेश करने का मौका मिलता है, लेकिन इसके लिए निवेशकों को फिजिकल फॉर्म में सोना रखने की जरूरत नहीं होती। इस योजना में निवेशकों को प्रति यूनिट गोल्ड में निवेश का मौका मिलता है, जिसकी कीमत सोने के बाजार मूल्य से जुड़ी होती है। बॉन्ड के मैच्योर होने पर इसे नकदी में भुनाया जा सकता है। साथ ही साथ एक खास फायदा यह है कि गोल्ड बॉन्ड पर ढाई फीसद की सालाना दर से ब्याज भी मिलता है।
ये कर सकते हैं निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में भारतीय नागरिक, हिन्दू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल इंस्टीट्यूट्स गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं। यहां बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आठ साल के लिए जारी किया जाता है। वहीं, पांचवें साल के बाद निवेशक को इस बॉन्ड स्कीम से बाहर निकलने का विकल्प मिलता है। यह गोल्ड बॉन्ड कमर्शियल बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन, डाकघरों और स्टॉक एक्सचेंज BSE और NSE द्वारा बेचा जाता है।
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