आज लखनऊ के पास प्रदेश में मेकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों का सबसे बड़ा बेडा है
कोरोना संक्रमण फैलने के बाद पूरे लखनऊ जिले का सेनेटाइजेशन करना लखनऊ DM अभिषेक प्रकाश के प्रशासनिक जीवन की एक कठिन चुनौती थी. लॉकडाउन की घोषणा होते ही अभिषेक प्रकाश ने पहले से ही कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे चीन, अमेरिका, यूरोपियन देशों के इंटरनेट पर मौजूद वीडियो खंगालने शुरू कर दिए थे. अभिषेक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि इन देशों ने अपने यहां किस तरह से सेनेटाइजेशन का काम किया है? इन वीडियो में दिख रही हाइटेक मशीनों की तकनीकी समझने में अभिषेक की इंजीनियरिंग की पढ़ाई काफी काम आई. अब अभिषेक ने कुछ तकनीकी लोगों को साथ लेकर विदेशी हाइटेक सेनेटाइज मशीन का देसी संस्करण डिजायन किया.
इसके लिए एक ट्रैक्टर का इंतजाम किया. पीछे की चेसिस पर सोडियम हाइपोक्लोराइउ के ‘वन परसेंट सल्यूशन’ को रखने के लिए एक पांच हजार लीटर का टैंक फिट किया. इसे दो तरफ से सौ-सौ मीटर की फाइबर और स्टील की ट्यूब के जरिए जेट पावर प्रेशर पंप से जोड़ा गया. इनमें मिस्ड गन लगाई गई. इस तरह जमीन से ही तीन मंजिला से ऊपर तक की इमारतों को सेनेटाइज करने की क्षमता वाली मेकेनाइज्ड मशीन तैयार हो गई. एक मशीन की कीमत करीब साढ़े छह लाख रुपए आई.
अभिषेक ने कंपनियों के 'कार्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी' फंड और विधायकों की निधि से पैसों का इंतजाम किया. इनसे नगर निगम, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत के लिए मेकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों की व्यवस्था की. आज लखनऊ नगर निगम में कुल 28 और तहसील में 12 जिओ मेकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनें काम कर रही हैं जिनमें प्रत्येक की क्षमता पांच हजार लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइड रखने की है.
इसके अलावा 65 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनें एक-एक हजार लीटर की क्षमता वाली हैं. सौ से अधिक मेकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों से सेनेटाइजेशन की क्षमता रखने वाला लखनऊ यूपी का इकलौता शहर है.
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