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कई मायनों में अलग होगा इस बार रमजान का महीना, घरों पर भी पढ़ी जा सकती है तरावीह

कई मायनों में अलग होगा इस बार रमजान का महीना, घरों पर भी पढ़ी जा सकती है तरावीह


आगामी 24-25 अप्रैल से शुरू हो रहा रमजान का पवत्रि महीना इस बार कोरोना संकट के चलते कई मायनों में काफी अलग होगा। रमजान के दौरान मस्जिदों में होने वाली तरावीह (पवित्र कुरआन का पाठ) अभी से सवालों के घेरे में है। लॉकडाउन जारी रहने पर क्या मस्जिदों में तरावीह की इजाजत मिलेगी? लॉकडाउन खुल भी जाता है तो भी क्या मस्जिदों में तरावीह के लिए बड़े पैमाने पर लोगों की जुटान उचित रहेगी? 
दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने 'हिन्दुस्तान' से खास बातचीत में कहा कि रमजान के दौरान जो भी धार्मिक क्रियाकलाप होते हैं उनका अनुपालन वश्वि स्वास्थ्य संगठन और अपने देश की सरकार के निर्देशों पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी मानवता पर संकट है इसलिए सरकार की ओर से जो भी निर्देश जारी हो रहे हैं उनका समुचित अनुपालन किया जाना बहुत जरूरी है। मौलाना बुखारी ने रमजान के दौरान मस्जिदों में तरावीह की सम्भावना के बारे में कहा कि इस्लाम में बहुत खुलापन है, घरों में रहकर भी इबादत हो सकती है। 
गुरुवार को होने वाली शबेबरात के बारे में उन्होंने कब्रस्तिानों, दरगाहों, मजारों पर लोगों से न जाने की अपील करते हुए कहा कि शबेबरात की रात अपने गुनाहों की माफी मांगने की रात है, इसलिए घरों में रहकर ही इबादत करें।
 
लखनऊ के इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहली ने कहा कि कोरोना संकट के चलते अगर रमजान के दौरान मस्जिदों में तरावीह सम्भव न हो तो घरों में तरावीह पढ़ें। अगर उस दरम्यान लॉकडाउन खुल भी जाता है तो भी सार्वजनिक रूप से इकट्ठा होने से बचें, सरकारी निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। सुरक्षा के सभी उपाय करें।